लेखनी कहानी -20-Dec-2022:- जल ही जीवन है
दैनिक प्रतियोगिता हेतु:-
भूमिका आज उसकी कक्षा के बच्चों को जल के विषय में पढ़ा रही थी। उसने सभी को जल के सदुपयोग के विषय में बताया एक सभी को प्रैक्टिकल शिक्षा हेतु भ्रमण पर ले गई। उन्होंने रास्ते में देखा एक टंकी में लबाबलब पानी भरा हुआ था और उसमें से बहे जा रहा था। भूमिका ने रुक कर वहां उस टंकी के मालिक को बुलवाकर इस विषय में चर्चा की और जल के प्रति लापरवाही ना बरतने की सलाह दी। आगे चलकर उन्हें एक स्त्री दिखी, वह ट्यूब वेल से पानी खींच रही थी। पानी को खींचने के पश्चात् बाल्टी में लापरवाही से पानी भर रही थी। आधा पानी बाल्टी में आधा पानी बाल्टी से बाहर। भूमिका ने रुककर उसे भी जल के विषय में सदुपयोग करने हेतु तरीके बताए। जब वे सभी विद्यालय में पहुंचे। तब तक लंच हो चुका था। वे लोग जैसे ही कक्षा- कक्ष में जा ए लगे, वैसे ही उन्होंने देखा कुछ बच्चे बॉटल में से इस प्रकार हाथ धो रहे थे की कक्षा के बाहर पानी से कीचड़ हिंकीचड़ कर दिया। एक बच्चे का उसमें पैर भी फिसला, परंतु वह गिरते- गिरते बच गया। यह सब देखते हुए। वहां उपस्थित सभी बच्चों को उसने पास बुलाया एवम उन्हें पानी की बचत करने हेतु प्रोत्साहित किया। साथ ही साथ पानी का उपयोग करने में सावधानी बरतने की सलाह भी दी। सभी बच्चों ने भूमिका से वायदा किया कि आगे से पानी से हाथ तरीके से धोएंगे एवम पानी का सदुपयोग करेंगे। भूमिका ने एक छोटी सी कविता सभी को बार- बार बुलवाकर याद करवाई:-
"ईश्वर ना करे, कभी ऐसा हो हमारा कल,
जब हमारे पास ना रहेगा जल।
सोचो प्यासे मार जाएंगे,
जल के बिना क्या कर पाएंगे?"
इस नन्हीं- सी कविता की पंक्तियां याद करते हुए बच्चे अपनी- अपनी कक्षाओं में वापस चले गए अतः भोजन गृहण करने लगे।
madhura
02-Feb-2025 09:53 AM
v nice
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Punam verma
21-Dec-2022 09:38 AM
Very nice
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Swati Sharma
21-Dec-2022 01:45 PM
Thank you ma'am
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Abhinav ji
21-Dec-2022 07:50 AM
Very nice👍👍
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Swati Sharma
21-Dec-2022 01:45 PM
Thank you sir 🙏🏻🙏🏻
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